तारीख: 11 अक्टूबर 2025 | स्थान: पटना, बिहार
जेपी ने स्वतंत्रता संग्राम में तो अपनी भूमिका निभाई ही, स्वतंत्र भारत में भी भ्रष्टाचार, अन्याय और तानाशाही के खिलाफ “संपूर्ण क्रांति” का बिगुल बजाया।
उनका जीवन आज भी समाज और राजनीति दोनों के लिए प्रेरणा है।
🔹 जेपी का जीवन: साधारण गाँव से लोकनायक तक
जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गाँव में हुआ था।
गरीबी के बावजूद उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका की राह पकड़ी और वहां से समाजशास्त्र में डिग्री हासिल की।
वहीं उन्होंने सीखा कि समानता, न्याय और स्वतंत्रता ही एक आदर्श समाज की नींव हैं।
भारत लौटने के बाद उन्होंने खुद को पूरी तरह से स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक परिवर्तन के लिए समर्पित कर दिया।
वे महात्मा गांधी के विचारों से गहराई से प्रभावित थे और उन्होंने अहिंसक जनआंदोलन को ही समाज परिवर्तन का रास्ता माना।
🔹 “संपूर्ण क्रांति” – एक युग परिवर्तन का नारा
1974 में जब देश भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और सत्ता के दुरुपयोग से जूझ रहा था, तब जेपी ने युवाओं से कहा —
“संपूर्ण क्रांति लानी है, केवल सरकार बदलने की नहीं, व्यवस्था बदलने की।”
उनका यह नारा पूरे भारत में लोकतांत्रिक चेतना की लहर बन गया।
जेपी आंदोलन से कई युवा नेता उभरे जिन्होंने आगे चलकर भारतीय राजनीति की दिशा और दशा दोनों बदल दी —
जिनमें लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार और रामविलास पासवान जैसे नाम प्रमुख हैं।
🔹 वर्तमान सियासत में जेपी का नाम फिर चर्चा में
हर साल की तरह इस बार भी जेपी जयंती पर बिहार की सियासत गर्म है।
पिछले वर्ष अखिलेश यादव जेपी स्मारक में जबरन प्रवेश को लेकर विवादों में रहे थे।
इस बार प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा और बैरिकेडिंग के कड़े इंतज़ाम किए हैं।
अब निगाहें इस बात पर हैं कि अखिलेश यादव और अन्य नेता जेपी स्मारक पर कैसे पहुंचते हैं।
लोकनायक के नाम पर बयानबाज़ी और राजनीतिक संदेशों का दौर तेज़ है,
मगर असली सवाल यही है कि क्या आज की राजनीति जेपी के बताए मार्ग — जनता की शक्ति और ईमानदार शासन — पर चल रही है?
🔹 जेपी के विचार आज भी क्यों प्रासंगिक हैं?
जयप्रकाश नारायण का मानना था कि लोकतंत्र की आत्मा जनता की जागरूकता में बसती है।
उनके समाजवाद में किसी वर्ग या जाति का नहीं बल्कि मानवता का सर्वोच्च स्थान था।
वे कहा करते थे —
“राजनीति सत्ता पाने का नहीं, समाज सुधारने का माध्यम होनी चाहिए।”
आज जब राजनीति में व्यक्तिगत स्वार्थ, गठबंधन की जुगत और सत्तालोलुपता बढ़ रही है,
जेपी के विचार हमें याद दिलाते हैं कि असली शक्ति जनता के पास ही होती है।
उनकी सोच आज के दौर में भी लोकतंत्र को जीवित रखने की सबसे मजबूत कड़ी है।
📜 जेपी आंदोलन से निकले नेता
नेता का नाम | बाद की भूमिका |
---|---|
लालू प्रसाद यादव | पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार |
नीतीश कुमार | मुख्यमंत्री, बिहार |
रामविलास पासवान | केंद्रीय मंत्री |
सुशील कुमार मोदी | पूर्व उपमुख्यमंत्री, बिहार |
🔹 निष्कर्ष
लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जीवन सत्य, साहस और जनशक्ति का प्रतीक है।
उन्होंने दिखाया कि जनता की एकजुटता किसी भी अन्याय या तानाशाही को चुनौती दे सकती है।
उनकी जयंती पर हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम भी अपने जीवन में
“संपूर्ण क्रांति” की भावना को जीवित रखें —
भ्रष्टाचार, असमानता और अन्याय के खिलाफ डटकर खड़े हों।
जयप्रकाश नारायण अमर रहें 🙏
लोकनायक की विचारधारा सदैव जीवित रहे।
स्रोत: लोकसभा अभिलेखागार, बिहार सरकार, ऐतिहासिक दस्तावेज़, मीडिया रिपोर्ट्स