मध्य प्रदेश और राजस्थान में दूषित खांसी की दवा से कई बच्चों की मौत होने के बाद, बच्चों के लिए सही खांसी की दवा चुनना माता-पिता के लिए महत्वपूर्ण चुनौती बन गया है। विशेषज्ञ बताते हैं कि हर खांसी में दवा देना जरूरी नहीं होता, सही समय पर सही दवा का उपयोग करना ही सर्वोत्तम होता है।
खांसी कब गंभीर होती है?
डॉ. राजत ग्रोवर के अनुसार, खांसी सामान्यतया वायरल संक्रमण या पर्यावरण कारण से होती है। अगर खांसी 5-7 दिन से ज्यादा जारी रहे, या बुखार, सांस लेने में दिक्कत, छाती में दर्द, पीली-हरी बलगम, आवाज खराब होना, खांसी में खून आना जैसे लक्षण हों, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
खांसी की दवा चुनने में सावधानियां
डॉ. नीरज गुप्ता बताते हैं कि बच्चों के लिए इन घटकों से युक्त दवाएं सावधानी से लेने की जरूरत है:
- टेर्बुटालिन: अस्थमा में उपयोगी, पर बचपन में सावधानी जरूरी।
- डेरिफिलिन: श्वसन रोगों के लिए, 6 साल से कम उम्र के लिए बचें।
- कोडिन: दर्द और खांसी में उपयोगी, पर नशे की लत और साइड इफेक्ट का खतरा।
- डेक्स्ट्रोमेथोर्फन: खांसी दबाने वाला, बच्चों में डॉक्टर की सलाह जरूरी।
डायथीलीन ग्लाइकोल से खतरा
कुछ खांसी की दवाओं में डायथीलीन ग्लाइकोल नामक जहरीला पदार्थ पाया गया है, जो किडनी फेल्योर का कारण बन सकता है। यह रंगहीन और बिना गंध वाला पदार्थ है, जिससे पहचानना मुश्किल होता है।
सुरक्षा के उपाय
- मल्टीड्रग कॉम्बिनेशन वाली दवाओं से बचें।
- ओवर-द-काउंटर दवा बिना डॉक्टर की सलाह के न लें।
- दवा की पैकेजिंग पर साइड इफेक्ट और डोज़ की जानकारी जरूर पढ़ें।
- सत्यापित ब्रांड और फर्म से ही दवा खरीदें।
डोज़ सही कैसे दें?
ड्रग डोज़ बच्चे के वजन, उम्र और सेहत के मुताबिक डॉक्टर ही तय करें। बिना सलाह के खुद डोज़ तय करना जोखिम भरा हो सकता है।
खांसी की दवाओं के विकल्प
यदि दवाओं से बचना चाहते हैं तो ये घरेलू उपाय मददगार हैं:
- 1 साल से अधिक उम्र वालों को शहद देना।
- गर्म पानी से गरारे करना।
- भाप लेना।
- पर्याप्त पानी पिलाना।
- रात को सिर थोड़ा ऊंचा रखना।
किसी भी घरेलू उपाय को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह अवश्य लें ताकि कोई गंभीर समस्या न छूटे।
यह जानकारी केवल संदर्भ हेतु है, किसी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए जांच और सलाह चिकित्सक से लें।