नामांकन के पहले दिन बड़ा झटका: संतोष कुशवाहा, राहुल शर्मा, चाणक्य यादव समेत कई बड़े नेता चुनाव से पहले RJD में शामिल

Deepak Pandit
संतोष कुशवाहा धमदाहा विधानसभा सीट से राजद के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं. (इंडिया टुडे)

1. पृष्ठभूमि

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया शुरू होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। पहले ही दिन कई दिग्गज नेताओं ने अपनी पारंपरिक पार्टी जदयू (JD(U)) छोड़कर RJD (राष्ट्रीय जनता दल) का दामन थामने की घोषणा की। इस तरह के दलबदल से चुनावी बैंचमार्क और गठबंधन समीकरण पर असर पड़ने की संभावना है। 

यह कदम उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है जिसमें RJD चुनाव पूर्व अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है और जदयू को कमजोर करना चाहता है, खासकर कुशवाहा कोटे में। 

2. कौन-कौन शामिल हो रहे हैं?

•  संतोष कुशवाहा

पूर्णिया लोकसभा से दो बार सांसद रह चुके संतोष कुशवाहा धमदाहा विधानसभा सीट से RJD की टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं। 

वे जदयू के प्रमुख कोइरी (कुशवाहा) चेहरों में से हैं और सीमांचल क्षेत्र में उनकी पकड़ मजबूत है। 

संतोष कुशवाहा ने पहले बीजेपी से राजनीति शुरू की थी और बाद में जदयू में शामिल हुए। 

•  चाणक्य प्रकाश (गिरधारी यादव के पुत्र)

बांका जिले की बेलहर विधानसभा सीट से नामांकन की तैयारी करते हुए, गिरधारी यादव के बेटे चाणक्य प्रकाश भी RJD में शामिल होने वाले हैं। 

उनका शैक्षिक पृष्ठभूमि LSE (London School of Economics) से है। 

•  राहुल शर्मा (जगदीश शर्मा के पुत्र / पूर्व विधायक)

जहानाबाद से पूर्व सांसद जगदीश शर्मा के बेटे और पूर्व विधायक राहुल शर्मा भी RJD में जाने की तैयारी में हैं। 

उनका राजनीतिक जनाधार खासकर मगध क्षेत्र में माना जाता है। 

3. प्रभाव और रणनीतिक अर्थ

🔹 जदयू को बड़ा झटका

इन बड़े नेताओं के RJD में जाने से जदयू को खासकर कुशवाहा कोटे में संभावित वोट क्षति का सामना करना पड़ सकता है।

संतोष कुशवाहा की लोकप्रियता सीमांचल क्षेत्र में विशेष है — उनका गृहस्थ वे जदयू के लिए कवायद खतरे में डाल सकते हैं। 

🔹 RJD की राजनीति रणनीति

  • RJD इस दलबदल को एक अवसर के रूप में देख रहा है — विशेषकर उन क्षेत्रों में जहाँ जदयू की पकड़ कमजोर है।
  • इस कदम से RJD अपनी “A to Z” पॉलिटिक्स की दिशा में आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा है, यानी हर जाति-समुदाय को साथ जोड़ने की रणनीति।  
  • इस हमले का मकसद MY (मुस्लिम-यादव) के अलावा सवर्ण-भूमिहार वोट बैंक पर भी नियंत्रण करना है।  

4. चुनौतियाँ और प्रश्न

  • क्या जदयू स्थानीय स्तर पर इन नेताओं के जाने का असर कम करने में सफल रहेगा?
  • क्या नए दलबदल से मतदाताओं की प्रतिक्रिया नकारात्मक होगी?
  • RJD इन दलबदलुओं को किस प्रकार से अपने संगठनात्मक ढाँचे में मिलाएगा?
  • क्या यह दलबदल स्थायी होंगे या मॉक यूनियन की तरह चुनाव तक सीमित?

5. निष्कर्ष

नामांकन की पहली ही घड़ी में हुए ये बड़े दलबदल राजनीतिक रणभूमि को और जटिल बना देते हैं। बिहार जदयू नेताओं का RJD में शामिल होना न सिर्फ एक सोच-विचार निर्णय है, बल्कि यह वर्तमान चुनावी समीकरणों में भारी हलचल ला सकता है।

यह परिवर्तन यह संकेत देता है कि राजनीतिक दल अब केवल सत्ता ही नहीं छल रहे, बल्कि पहले से ही भविष्य की राजनीति को मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

अगर चाहें, तो मैं इस विषय पर मतदाता सर्वे, पूर्व अनुभवों की तुलना, या रुझान विश्लेषण भी जोड़ सकता हूँ — जिससे लेख और गहराई ले ले। चाहिए ऐसा विस्तार?

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