Up Khabar Hindi • 11 अक्टूबर 2025 • दिल्ली/गोरखपुर
संक्षिप्त सार
फोकस कीवर्ड: गोरखपुर अपराधी फर्जी मौत दिल्ली गिरफ्तारी
दिल्ली पुलिस ने महिलाओं एवं संपत्ति से संबंधी कई आपराधिक मामलों में वांछित चल रहे गोरखपुर निवासी विरेंद्र विमल (आरोपी के नाम प्रकाशन स्रोत के अनुसार) को गिरफ्तार किया है। पुलिस के अनुसार विरेंद्र ने 2021 में खुद की मौत का फर्जी रिकॉर्ड दर्ज कराकर कानूनी प्रक्रियाओं से बचने की कोशिश की थी — परन्तु चालाकी को भांपते हुए दिल्ली पुलिस ने हालिया छापे के दौरान उसे दबोच लिया।
गिरफ्तारी की पूरी वजह और घटनाक्रम
पुलिस के बयानों के अनुसार (Aaj Tak रिपोर्टिंग के हवाले), विरेंद्र पर कई आपराधिक मामले दर्ज थे और वह सजगता से फरार चल रहा था। 2021 में उसके कथित मृत्यु प्रमाण के आधार पर कुछ सुनवाई स्थगित की गई थी। जांच में यह संकेत मिला कि मृत्यु को लेकर दायर दस्तावेज़ फर्जी थे। दिल्ली थाने की क्राइम शाखा ने लंबी छानबीन और इंटेलिजेंस के बाद उसे पकड़ लिया।
नोट: आरोपी पर लगे आरोप और मामले अभी न्यायिक प्रक्रिया के अधीन हैं — गिरफ्तारी होने का मतलब दोषसिद्धि नहीं है।
समयरेखा (Timeline)
वर्ष/तिथि | घटनाक्रम |
---|---|
2021 | आरोपी के विरुद्ध पहला केस दर्ज; प्रतिवादी द्वारा अपनी मृत्यु का रिकॉर्ड दाखिल करने का आरोप। |
2021–2024 | कानूनी सुनवाई और फरार रहने के चलते मामले की प्रगति बाधित। |
2025 (हाल ही) | दिल्ली पुलिस की संयुक्त छापेमारी में आरोपी गिरफ्तार। |
पुलिस ने क्या बताया?
पुलिस अधिकारीयों ने बताया कि गिरफ्तारी के बाद आरोपित से जुड़े कई संदिग्ध दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य बरामद किए गए हैं। अधिकारी यह भी कह रहे हैं कि आरोपियों के खिलाफ और भी मामले जांच के दायरे में आ सकते हैं। गिरफ्तार आरोपी को फिलहाल रिमांड के लिए न्यायालय में पेश किया जाएगा।
कानूनी पहलु और आगे की प्रक्रिया
फर्जी मौत दर्ज कराना और दस्तावेज़ों में छेड़छाड़ गंभीर आपराधिक धाराओं के अंतर्गत आता है — जैसे कि धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और न्यायिक प्रक्रियाओं में बाधा। अगर जांच में यह साबित हुआ कि दस्तावेज जानबूझकर गलत कर दिए गए थे, तो आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराएँ लगाई जा सकती हैं।
यदि आप इस मामले से जुड़े और तथ्य-आधारित अपडेट चाहते हैं तो हमारी साइट पर बने रहें — हम आधिकारिक सूचनाओं के प्राप्त होते ही रिपोर्ट अपडेट करेंगे।
स्थानीय और सामाजिक संदर्भ
गोरखपुर और आसपास के जिलों में ऐसे मामले समुदाय में अशांति पैदा कर सकते हैं, खासकर तब जब अपराधी चोरी, धोखाधड़ी या महिला-संबंधी अपराधों के आरोप में घिरे हों। स्थानीय प्रशासन का कड़ा रुख और पुलिस की त्वरित कार्रवाई समाज को आश्वस्त करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है।